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अयोध्या - साकेत और राम नगरी
साकेत और राम नगरी के रूप में भी जाने जाने वाले अयोध्या, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और धार्मिक नगर है। यह पवित्र सरयू नदी के तट पर बसा हुआ है और अयोध्या जिले का मुख्यालय है। इतिहास में इसे 'कोशल जनपद' भी कहा जाता था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अयोध्या में सूर्यवंशी, रघुवंशी, अर्कवंशी राजाओं का राज हुआ करता था, जिसमें भगवान् श्री राम ने अवतार लिया।
Ayodhya General Information
Parameter |
Details |
Area |
10.24 Sq. km. |
Population |
40642 (1991 census) |
Altitude |
26.90 meters above sea level |
Season |
October – March |
Clothing (Summer) |
Cottons |
Clothing (Winter) |
Woollens |
Language |
Hindi, Avadhi, and English |
Local Transport |
Taxis, Tongas, Tempos, Buses, Cycle-Rikshaws |
STD Code |
05278 |
Mandir |
Ayodhya Ram Mandir |
Built by |
Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra Trust |
Construction Started in |
2019 |
स्थापना और नामोत्पत्ति
आपकी साझा की गई जानकारी के अनुसार, मान्यता है कि इस नगर को मनु ने बसाया था और इसे 'अयोध्या' का नाम दिया गया, जिसका अर्थ होता है 'जिसे युद्ध के द्वारा प्राप्त न किया जा सके'। प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने 7वीं शताब्दी में इस नगर का दौरा किया था और उनकी रिपोर्ट के अनुसार, यहां 20 बौद्ध मंदिर थे और 3000 भिक्षु निवास करते थे। यह नगर सप्त पुरियों में से एक माना जाता है, जो मोक्ष प्रदान करने वाली हैं:
अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, काशी, काञ्चीपुरम, उज्जैन, और द्वारिका ।
पुरी सातों में मोक्षदायिका हैं॥
वेद में अयोध्या:
अयोध्या को वेदों में "अष्टचक्रा नवद्वारा देवानां पूरयोध्या"[3] के रूप में ईश्वर का नगर माना गया है, और इसकी सम्पन्नता को स्वर्ग के समान बताया गया है। अथर्ववेद में यहाँ यौगिक प्रतीक के रूप में वर्णित है:
"अष्टचक्रा नवद्वारा देवानां पूरयोध्या।
तस्यां हिरण्मयः कोशः स्वर्गो ज्योतिषावृतः॥"
(अथर्ववेद -- 10.2.31)
रामायण के अनुसार:
रामायण के अनुसार, अयोध्या की स्थापना मनु ने की थी। यह पुरी सरयू के तट पर बारह योजन (लगभग १४४ किलोमीटर) लम्बाई और तीन योजन (लगभग ३६ किलोमीटर) चौड़ाई में बसी थी। अयोध्या बहुत समय तक सूर्यवंशी राजाओं की राजधानी रही है। स्कन्दपुराण के अनुसार सरयू के तट पर इसकी दिव्य शोभा से भरी दूसरी अमरावती के समान अयोध्या नगरी है।
जैन मत:
जैन मत के अनुसार अयोध्या में चौबीस तीर्थंकरों में से पांच तीर्थंकरों का जन्म हुआ था, जिनमें ऋषभनाथ जी, अजितनाथ जी, अभिनंदननाथ जी, सुमतिनाथ जी, और अनंतनाथ जी शामिल हैं। जैन और वैदिक दोनों मतों के अनुसार भगवान रामचन्द्र जी का जन्म भी इसी भूमि पर हुआ। इसका महत्व इसके प्राचीन इतिहास में निहित है क्योंकि भारत के प्रसिद्ध एवं प्रतापी क्षत्रियों (सूर्यवंशी) की राजधानी यही नगर रहा है।
उल्लेखनीय:
अयोध्या मूल रूप से हिंदू मंदिरों का शहर है, और आज भी यहां हिंदू धर्म से जुड़े अवशेष देखे जा सकते हैं।
पूराणिक गौरव से युक्त अयोध्या:
मानव सभ्यता की पहली पुरी होने का पौराणिक गौरव से समृद्ध अयोध्या, भले ही एक स्वाभाविक रूप से प्राप्त हो रहा हो। इस नगर का नाम रामजन्मभूमि, कनक भवन, हनुमानगढ़ी, राजद्वार मंदिर, दशरथमहल, लक्ष्मणकिला, कालेराम मन्दिर, मणिपर्वत, श्रीराम की पैड़ी, नागेश्वरनाथ, क्षीरेश्वरनाथ, श्री अनादि पञ्चमुखी महादेव मन्दिर, गुप्तार घाट सहित अनेक मंदिरों से भी रूपांतरित होता है।
प्रमुख दर्शनीय स्थल:
बिरला मंदिर, श्रीमणिरामदास जी की छावनी, श्रीरामवल्लभाकुञ्ज, श्रीलक्ष्मणकिला, श्रीसियारामकिला, उदासीन आश्रम, रानोपाली, तथा हनुमान बाग जैसे अनेक आश्रम और आगंतुकों का केंद्र भी यहां स्थित हैं।
श्रीरामजन्मभूमि:
रामकोट के पश्चिमी हिस्से में स्थित श्रीरामजन्मभूमि, अयोध्या का प्रमुख स्थान है। यहां श्रीराम, लक्ष्मण, भरत, और शत्रुघ्न - चारों भाइयों के बालरूप में दर्शन होते हैं। इस स्थान पर भारतीय और विदेशी श्रद्धालु साल भर में आते रहते हैं। मार्च-अप्रैल में मनाया जाने वाला रामनवमी पर्व यहां बड़े जोश और धूमधाम से मनाया जाता है।
कनक भवन:
हनुमानगढ़ी के निकट स्थित कनक भवन अयोध्या का एक महत्वपूर्ण मंदिर है। यहां की प्रतिमाएं सीता और राम के सोने मुकुट पहने हुए हैं, जिसके लिए यह मंदिर लोकप्रिय है। इसलिए, इसे कई बार "सोने का घर" भी कहा जाता है। रानी टीकमगढ़ ने 1891 में इस मंदिर की स्थापना कराई थी।
इस मंदिर में श्री विग्रह (श्री सीताराम जी) को भारत के सुंदरतम स्वरूप के रूप में पूजा जाता है। यहां नित्य दर्शन के अलावा, सभी समैया-उत्सव भव्यता के साथ मनाए जाते हैं।
हनुमान गढ़ी:
नगर के केंद्र में स्थित हनुमान गढ़ी मंदिर में आप 76 कदमों की चाल से आसानी से पहुंच सकते हैं। अयोध्या, जिसे भगवान राम की नगरी कहा जाता है, में इस मंदिर का विशेष महत्व है। यहां की पौराणिक कथाएं कहती हैं कि हनुमान जी यहां सदैव वास करते हैं और इस कारण भक्तों ने इसे पूजनीय स्थान माना है। अयोध्या में भगवान राम के दर्शन से पहले, श्रद्धालुओं ने यहां भक्त हनुमान जी के दर्शन किए हैं।
हनुमान गढ़ी का सबसे प्रमुख मंदिर, "हनुमानगढ़ी" के नाम से मशहूर है। यह मंदिर राजद्वार के सामने ऊँचे टीले पर स्थित है और मान्यता है कि हनुमान जी यहां एक गुफा में वास करते थे और रामजन्मभूमि और रामकोट की रक्षा करते थे। हनुमान जी को इस स्थान के रहने के लिए यहां ने नियुक्त किया गया था।
प्रभु श्रीराम ने हनुमान जी को यहां का राजा बनाया और उन्हें अपने भक्तों की रक्षा का अधिकार दिया था। श्रद्धालुओं के मानने के अनुसार, इस मंदिर का दर्शन करने से उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मंदिर परिसर में माँ अंजनी और बाल हनुमान की मूर्ति है जहां हनुमान जी, अपनी माँ अंजनी की गोद में बालक रूप में विराजमान हैं।
हनुमान गढ़ी मंदिर की निर्माण कथा के अनुसार, सुल्तान मंसूर अली अवध के नवाब थे। उनका एकमात्र पुत्र गंभीर रूप से बीमार पड़ गया था और उसका प्राण बचाने के लिए सुल्तान ने संकटमोचक हनुमान जी की पूजा की और उनके चरणों में माथा टेका। हनुमान ने अपने आराध्य प्रभु श्रीराम का ध्यान किया और सुल्तान के पुत्र की धड़कनें पुनः प्रारंभ हो गई। इसके पश्चात्, नवाब ने न केवल हनुमान गढ़ी मंदिर का जीर्णोद्धार कराया बल्कि एक ताम्रपत्र पर लिखकर घोषणा की कि कभी भी इस मंदिर पर किसी राजा या शासक का कोई अधिकार नहीं रहेगा और न ही यहां के चढ़ावे से कोई शुल्क किया जाएगा।
राजद्वार मंदिर:
यह एक अयोध्या का महत्वपूर्ण स्थल है, जो उत्तर प्रदेश के अयोध्या क्षेत्र में, हनुमान गढ़ी के पास स्थित है। इस भव्य मंदिर का उच्च पतला शिखर एक ऊची भूमि पर खड़ा है और दूर से दृष्टिग्रहण की जा सकती है। मंदिर भगवान राम को समर्पित है और यह एक समकालीन वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
आचार्यपीठ श्री लक्ष्मण किला:
महान संत स्वामी श्री युगलानन्यशरण जी महाराज की तपस्थली श्री लक्ष्मण किला अयोध्या में स्थित है। यह स्थान रसिकोपासना के आचार्यपीठ के रूप में प्रसिद्ध है और श्री स्वामी जी के शिष्यों द्वारा संचालित है। यहां सभी भक्तों को सेवा का अद्वितीय अनुभव होता है और यह एक प्रमुख पैगंबरियों का तीर्थ स्थल है।
नागेश्वर नाथ मंदिर:
कहा जाता है कि नागेश्वर नाथ मंदिर को भगवान राम के पुत्र कुश ने बनवाया था। माना जाता है कि यह मंदिर विक्रमादित्य के काल से है और शिवरात्रि पर्व को यहां बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
राजद्वार मंदिर:
यह एक अयोध्या का महत्वपूर्ण स्थल है, जो उत्तर प्रदेश के अयोध्या क्षेत्र में, हनुमान गढ़ी के पास स्थित है। इस भव्य मंदिर का उच्च पतला शिखर एक ऊची भूमि पर खड़ा है और दूर से दृष्टिग्रहण की जा सकती है। मंदिर भगवान राम को समर्पित है और यह एक समकालीन वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है। आचार्यपीठ श्री लक्ष्मण किला: महान संत स्वामी श्री युगलानन्यशरण जी महाराज की तपस्थली श्री लक्ष्मण किला अयोध्या में स्थित है। यह स्थान रसिकोपासना के आचार्यपीठ के रूप में प्रसिद्ध है और श्री स्वामी जी के शिष्यों द्वारा संचालित है। यहां सभी भक्तों को सेवा का अद्वितीय अनुभव होता है और यह एक प्रमुख पैगंबरियों का तीर्थ स्थल है। नागेश्वर नाथ मंदिर: कहा जाता है कि नागेश्वर नाथ मंदिर को भगवान राम के पुत्र कुश ने बनवाया था। माना जाता है कि यह मंदिर विक्रमादित्य के काल से है और शिवरात्रि पर्व को यहां बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। श्रीअनादि पञ्चमुखी महादेव मन्दिर:
श्रीअनादि पञ्चमुखी महादेव मन्दिर:
यह मंदिर गोप्रतार घाट पर स्थित है और पञ्चमुखी शिव का स्वरूप यहां विराजमान है। इस मंदिर में भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है, जो शैवागम में वर्णित पाँच मुखों वाले लिंगस्वरूप की उपासना से होती है।
Contact Numbers - Ayodhya
Important Contact Numbers |
Tourist Information Centre |
Police |
100 |
U.P. Tourist Office |
Tourist Bungalow Campus, Near Railway Station, Ayodhya, U.P. +91-5278-232435 |
Regional Tourist Office |
House No. 1-3/152/4, Behind Pushparaj Guest House, Civil Lines, Ayodhya, U.P |
|
:+91-5278-223214 Email: rtofzd@gmail.com |
Fire |
101 |
Ambulance |
102 |
Rail Enquiry |
139 |
Shri Ram Hospital |
+91-5278-232149 |
Ayodhya Eye Hospital |
+91-5278-232828 |
Where to Stay
Accommodation |
Contact Information |
Rahi Tourist Bungalow (UPSTDC) |
Near Railway Station, Ayodhya (+91-5278-232435) Email: rahisaket@up-tourism.com |
Rahi Yatri Niwas (UPSTDC) |
Saryu Tat, Near Ramkatha Park, Distt. Ayodhya Email: yatriniwasayodhya@up-tourism.com |
Hotel Ramprastha |
Near Ram Katha Museum Ayodhya (+91 5278-232110, 9721691096) |
Sri Ram Hotel |
Near Dant Dhawan Kund, Ayodhya (+91 5278-232512) |
Ram Dham Guest House |
Railway Station Road, Ayodhya |
Ram Anugrah Vishram Sadan |
Chhoti Chhawani Marg, Ayodhya |
Kanak Bhawan Dharmashala |
Ayodhya (91-5278-232024, 232901) |
Birla Dharamshala |
Near Old Bus Station, Ayodhya (+91-5278-232252) |
Gujarat Bhawan Dhamashala |
Near Dant Dhawan Kund, Ayodhya (+91-5278-232075) |
Jain Dharamshala |
Rai Ganj, Ayodhya (+91-5278-232308) |
Janaki Mahal Trust Dharmashala |
Naya Ghat, Ayodhya (+91-5278-232032, 232151) |
Pandit Banshidhar Dharmashala |
Naya Ghat, Ayodhya |
Ramcharitmanas Trust Dharmashala |
Ayodhya (+91-5278-233040) |
Damodar Dharamshala |
Subash Nagar, Faizabad (+91-5278-223561) |
Shyam Sundar Dharamshala |
Reed Ganj, Faizabad (+91-5278-240704) |
Festival
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Event: Ram Navami Mela (April)
Description: Celebrated in April, thousands of devotees visit the Ram Navami Mela to celebrate the birth of Lord Ram on the ninth day of the Navratri festival.
Special Features: Ram-leela act depicting the life of Lord Ram is organized widely in the city. Temples are decorated for the mela.
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Event: Shravan Jhula Mela (August)
Description: The fair enacts the playful spirit of the heavenly deities and is observed on the third day of the Shuklapaksh of Shravan month.
Features: Devotees place idols of deities in swings, idols are taken to Mani Parvat in a procession, and the mela lasts till the end of the month of Shravan.
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Event: Ram Lila
Description: Dramatic folk re-enactment of the life of Lord Ram, ending with a ten-day battle between Lord Ram and Ravana during Sharad Navratras.
Origin: Traditionally staged annually, marking the commencement of the Autumn festive period.
Culmination: Giant effigies of Ravana, Kumbhakaran, and Meghanath are set on fire during Vijayadashami.
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Parikramas:
- Antargrahi Parikrama: Shortest, completed in one day, covering holy sites in Ayodhya.
- Panchkoshi Parikrama: 16 km circuit, visiting various locations including temples and ghats.
- Chaturdashkoshi Parikrama: 45 km journey done during Akshaynavami, completed in one day.
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Hindi
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English
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Ram Navami (राम नवमी) 2024, Ayodhya
Immerse yourself in the divine ambiance as our temple hosts captivating events. Experience spiritual enlightenment and cultural richness in every celebration. Join us for moments of joy, reflection, and unity.
Start Date - 17th, April 2024
End Date - 17th, April 2024